कम शुक्राणु संख्या: कारण, लक्षण, और उपचार

शुक्राणु संख्या में कमी को आमतौर पे “मेल इन्फर्टिलिटी” कहते है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमे पुरुषों की शुक्राणु गणना बहुत कम या शून्य होती है जिससे गर्भधान में समस्या उत्त्पन हो सकती है। इस समस्या के कारण गर्भधान की सारी कोशिशें असफल रह सकती है। इसलिए बहुत जरुरी है इस स्तिथि को समझना और इसका सही उपचार करना।

शुक्राणु संबंधित समस्याओं का कारण


● जेनेटिक कारण: शुक्राणु संख्या में कमी का एक मुख्य कारण जेनेटिक या आनुवंशिक हो सकता है। यह तब होता है जब परिवार में इस समस्या से झूझने वाले अन्य सदस्य भी है।

● अंडकोषों में गर्मी: अगर अंडकोषों का तापमान ज्यादा बढ़ जाता है तब भी शुक्राणुओं के लिए ये नुकसानदायक हो सकता हैऔर पुरुष बाँझपन का कारण बन सकता है।
● अनियमित जीवनशैली: शुक्राणु उत्पन्नता में कमी का एक कारण अनियमित जीवनशैली भी हो सकता है। जैसे की ज्यादा तनाव, तंबाकू और अल्कोहल का सेवन अधिक मात्रा में करना, और सही आहार न लेना।
● तंतु में इंफेक्शन: अगर तंतु में इंफेक्शन हो जाये तब भी शुक्राणु संख्या में कमी हो सकती है या फिर शुक्राणु संख्या भी शुन्य हो सकते है।


शुक्राणु संख्या में कमी के लक्षण


● बालों में गूंथाएं बन जाना और विकार उत्पन्न हो जाना
● हृदय और सामान्य विकास में दिक्कत होना
● शारीरिक कमज़ोरी महसूस करना
● समय पर नींद न आना
● हार्मोनल संतुलन बिगड़ना
● शरीर की ऊर्जा में कमी आ जाना


शुक्राणु संख्या की कमी को सही करने का उपचार


● आहार और जीवनशैली परिवर्तन: पौष्टिक आहार खाना, व्यायाम करना, तंबाकू और शराब का सेवन बंद करना शुक्राणु संख्या में सुधार ला सकता है।

● दवाएँ लेना: डॉक्टर काफी बार कुछ दवाएँ लेने का सुझाव देते है जो शुक्राणु संख्या सुधारने में मदद कर सकती है।
● IVF का इस्तेमाल: IVF एक ऐसी तकनीक है जिसमे शुक्राणु और अंडो को एक साथ मिलाया जाता है। इनको मिलाने के बाद जो एम्ब्र्यो बनता है वो महिला के गर्भ में डाला जाता है।
● अंडकोष की ऊर्जा वापसी: अगर अंडकोष में गर्मी ज्यादा बढ़ती है तो डॉक्टर द्वारा बताये गए उपायों का पालन करें।
● ICSI तकनीक: अगर शुक्राणु संख्या कम या शून्य है तो ICSI जैसी तकनीक इस्तेमाल की जा सकती है। इस तकनीक में एक शुक्राणु को लेके सीधे अंडे के साथ मिला दिया जाता है।
● TESA तकनीक: अगर शुक्राणु की संख्या बिल्कुल शून्य है तब भी बच्चा अपका हि अन्श हो सकता है TESA तकनीक का इस्तेमाल करके। इस तकनीक में पुरुष की टेस्टिस से सुई डालकर शुक्राणु लिए जाते है और फिर उन शुक्राणुओं को ICSI तकनीक इस्तेमाल करके अंडे के साथ मिलाया जाता हैं।
● स्पर्म फ्रीजिंग: इस तकनीक में पुरुष अपना स्पर्म फ्रीज करवा सकते है। ऐसे लोग जिनको कैंसर है और उनका इलाज चल रहा है तो उनको अपना स्पर्म फ्रीज करवा लेना चाहिए क्यूंकि कीमोथेरेपी जैसी तकनीक में बहुत से रेडिएशन्स निकलती है, जिससे स्पर्म की संख्या कम या शून्य हो सकती है। अगर आप अपना स्पर्म पहले ही फ्रीज करवा लेंगे तो आगे जाके इस्तेमाल कर सकते है।


समापन

शुक्राणु संख्या में कमी या शून्य हो जाना एक गंभीर समस्या है जो स्वास्थ्य के साथ-साथ गर्भाधान में भी समस्या कर सकता है। महिला और पुरुष दोनों को इस समस्या के कारण और उचित उपचार का ज्ञान होना चाहिए।

ऐसा नहीं है की शुक्राणु की संख्या में कमी ठीक नहीं हो सकती। इसके बहुत से उपचार है जैसे की IVF, स्पर्म टेस्टिंग, TESA, स्पर्म फ्रीजिंग, ICSI, जीवनशैली में परिवर्तन, अन्य। तो घबराएं न और सही जानकारी के बाद अपना इलाज शुरू करवाएं।

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